लोग पूछते हैं हम से कि पुराने ख़तों में ऐसा क्या है जो बार- बार पढ़ते हो?
कैसे समझाए उन्हें कि कितनी यादें बसी हैं उन ख़तों में...
यादों के साथ बसी है...
ढेर सारी हंसी,
कई शरारतें,
कितने मज़ाक,
ढेर सारी बातें,
कुछ मासूम उमीदें,
कई खूबसूरत ख़्वाब,
कुछ झगड़े,
थोड़ी शिकायतें,
गहरा होता प्यार,
और प्यार का इज़हार,
थोड़ा रूठना,
थोडा मनाना,
कई मिन्नतें,
थोड़ी सी तड़प,
और थोड़े से आंसू,
कुछ गलत्फैमियां,
थोड़ी नादानियाँ,
और बेपनाह प्यार
बहुत से खूबसूरत पल,
बसे हैं इन्ह ख़तों में,
वोह हर एक पल,
जो मैंने गुज़ारा उनके साथ,
उन्ह ख़तों में
और वोह हर पल
जो गुज़ारा ख़्वाबों में,
उन पल,
उन यादों,
उन ख़्वाबों के सहारे ख़ुशी से कट रही है ज़िन्दगी
शुक्र है कि चाहे थोड़ी हि सही,
पर कुछ तो पल, कुछ तो ख़्वाब खुदा ने लिखे थे हमारे उनके साथ :)
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